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पीरियड्स के दौरान मैंने भी इस्तेमाल किया है कपड़ा, आखिर क्यों हैं ये इतना महंगा: स्मृति कालरा


'पीरियड्स' कोई बीमारी नहीं है मगर, इसे किसी बीमारी से कम भी नहीं समझा जाता। आज भी कई ऐसी जगह हैं जहां पीरियड्स के दौरान उस लड़की को छुआ तक नहीं जाता। कुछ लड़कियों को तो सही से पीरियड्स का मतलब तक पता नहीं होता। और चौंकाने वाली बात यह है कि यह सबकुछ पढ़े लिखे, शहरों में रहने वाले लोग भी करते हैं। हाल ही में इस बारे में हमारी बात हुई टीवी एक्ट्रेस स्मृति कालरा से। स्मृति ने अपने पहले पीरियड्स की बात करते हुए हमें बताया कि एक समय ऐसा भी था जब वो खुद कपड़ा इस्तेमाल करती थीं।

जी हां, यह काफी शॉकिंग हैं कि स्मृति कालरा जो कि टीवी इंडस्ट्री की नामी हस्ती हैं, इनके साथ भी ऐसा कुछ हुआ है। स्मृति ने हमसे बातचीत के दौरान कपड़ा इस्तेमाल करने पर होने वाली परेशानियों के बारे में भी खुलकर बात की। उन्होंने यह भी कहा कि छठी कक्षा में ही लड़कियों को इसके बारे में बताना चाहिए।
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Image Courtesy: Instagram (@smritikalra)

कपड़े के वजह से होती थी बहुत परेशानियां

स्मृति ने बताया कई पीरियड्स के बारे में अब जाकर लोग बात करने लगे हैं जो कि उन्हें बहुत पहले ही कर शुरू कर देना चाहिए था। पर वो खुश हैं कि आखिर वो दौर आ ही गया जब हम इसके बारे में आपस में बात कर सकते हैं। स्मृति ने कहा, "मैं एक पढ़े-लिखे परिवार से हूं, जो काफी ओपन माइंडेड है मगर, मुझे याद है कि मेरी मां ने भी मुझे मेरे पहले पीरियड्स के दौरान कपड़ा इस्तेमाल करने के लिए दिया था। मुझे याद है कि कैसे मैं वो बदबूदार कपड़ा अपने हाथों से धोती थीं। मेरी स्किन बहुत सेंसेटिव है और कपड़े की वजह से मुझे बहुत बार इन्फेक्शन हो जाता था। स्कूल में जाती थी तो कई बार दाग लग जाने की वजह से बहुत शर्मिंदगी महसूस होती थी। मैंने कई बार मां से कहा कि मुझे यह कपड़ा इस्तेमाल नहीं करना, लेकिन  उनका कहना था कि यही सही है।"
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"कहीं ना कहीं मुझे लगता है कि शायद पैसों की वजह से मेरी मां ने मुझे कपड़ा इस्तेमाल करने के लिए कहा था। और मैं जानना चाहती हूँ कि ये इतना महंगा क्यों हैं? क्या  लोग अब भी नहीं जानते कि एक लकड़ी के लिए यह कितना ज़रूरी है? अब भी इसे हर लड़की क्यों नहीं खरीद पाती? हम सभी ने अक्षय कुमार की फिल्म 'पैडमैन' देखी है क्या अब भी ऐसा नहीं लगता कि ये एक चीज़ इतनी सस्ती हो कि हर लड़की खरीद सके?", स्मृति ने कहा।

स्कूल में सिखाना चाहिए कि क्या है पीरियड्स

स्मृति ने कहा कि उनके स्कूल में कोई इस बारे में बात नहीं करता था। टीचर्स तो दूर की बात है लड़कियां भी आपस में इस बारे में बात नहीं करती थीं। स्मृति ने कहा, "मुझे लगता है कि पीरियड्स क्या है, यह स्कूल में ही सिखाना चाहिए जो हमारे समय नहीं हुआ। छठी क्लास में ही इस बारे में टीचर्स को लड़कियों को पीरियड्स और सैनिटरी नैपकिन के बारे में समझाना चाहिए। हमारे समय में हम सीधे नौवीं क्लास में पहुंचे और लड़कियां आपस में हंसती रहीं, किसी को पता नहीं कि यह क्या है और इस दौरान क्या करना चाहिए।"
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स्मृति ने कहा कि फिल्मों, कैम्पेन्स और सोशली पीरियड्स को लेकर अवेयरनेस हो रही है मगर, लड़कियां खुद इसके बारे में बात नहीं करना चाहतीं। आज भी लड़कियां पैड्स खरीदने में कतराती हैं। "अब आप ही सोचिये कि आप डरते हुए, सहमे हुए पैड्स मांगेंगी तो सामने वाला तो और ज्यादा शरमाएगा। मेरे ख़याल से लड़कियों को संकोच करना छोड़ देना चाहिए, तभी चीज़ें खुलकर सामने आएंगी,  नहीं तो फिर यही चलता रहेगा। लोग आपको पेपर में लपेटकर पैड्स देंगे और आप उसे अपने आँचल में छिपा कर ले जाएंगी," स्मृति ने कहा।

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