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Showing posts from April, 2018

आयरन और विटामिन बी-12 की कमी से बच्‍चों में हो सकती है यह डिजीज

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बच्‍चे हेल्‍दी रहें इसके लिए उनकी डाइट में विटामिन, मिनरल और आयरन की भरपूर मात्रा का होना चाहिए। अगर आप अपने बच्‍चे को आयरन और विटामिन बी-12 से भरपूर डाइट देती हैं, तब तो बहुत अच्‍छी बात है और अगर नहीं तो आज से ही उसकी डाइट में इन पोषक तत्‍वों को शमिल करना शुरू कर दें। क्‍योंकि एक नई रिसर्च से पता चला है कि छोटे बच्‍चे में आयरन और विटामिन बी12 की कमी व्यवहार संबंधी समस्याओं जैसे कि चिंता व आक्रामकता से जुड़ी हो सकती है। विटामिन बी-12 और आयरन की कमी शोध के निष्कर्षो से पता चलता है कि आयरन की कमी, एनीमिया व  विटामिन  बी12 की कमी की वजह से आठ साल की आयु वाले बच्चों में औसत की तुलना में आक्रमकता और नियमों को तोड़ने जैसे व्यवहार 10 फीसदी ज्यादा होते हैं। लौह तत्व की कमी आंतरिक समस्याओं जैसे चिंता व डिप्रेशन से जुड़ी होती है। क्‍या कहती है रिसर्च अमेरिका के मिशिगन यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर एडुआडरे विल्मर ने कहना हैं कि ब्रेन के कुछ हिस्सों का विकास पूरे बाल्यावस्था के दौरान होता है। उन्होंने कहा कि दिमाग के बेसल गैंग्लिया, हिप्पोकैंपस, अमाईगडला व प्रीफ्रंटल कार्टेक्स की संर

डार्क चॉकलेट खाइए, दिल को हेल्दी बनाइए और कैविटी दूर भगाइए

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अगर आप डार्क चॉकलेट पसंद करती हैं तो स्वाद और सेहत दोनों बनाए रख सकती हैं। एक नई स्टडी में यह बात सामने आई है कि डार्क चॉकलेट खाने से स्ट्रेस और शरीर में होने वाली जलन में कमी आती है। ऐसा इसलिए होता है कि डार्क चॉकलेट में ककाओ की मात्रा ज्यादा होती है और यह फ्लेवेनॉएड्स का अच्छा स्रोत है।  कैलिफोर्निया की लोमा लिंडा यूनिवर्सिटी के लीड इन्वेस्टिगेटर ली एस बर्क का कहना है, 'ककाओ में पाए जाने वाले फ्लेवेनॉएड्स बहुत शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट्स और एंटी-इन्फ्लेमेटरी एजेंट होते हैं, जो ब्रेन और कार्डियोवेस्कुलर हेल्थ के लिए बहुत अच्छे माने जाते हैं। कई सालों से डार्क चॉकलेट का न्यूरोलॉजिकल फंक्शन्स पर असर देखा जा रहा है, इसमें जितनी ज्यादा शुगर होती है, हम उतने ही ज्यादा खुश होते हैं।  अच्छी बात ये है कि डार्क चॉकलेट कई पोषक तत्वों से भरपूर होती है जो आपकी सेहत बनाए रखने का काम करते हैं। डार्क चॉकलेट ब्लड प्रेशर के स्तर को नियंत्रित करने में भी मदद करती है। डार्क चॉकलेट में पाया जाने वाला पोटैशियम और कॉपर स्ट्रोक और दिल की बीमारियों को रोकने में सहायक हैं। डार्क चॉकलेट में पा

नेचुरल डिलीवरी में देरी हो तो इंतजार करने से बेहतर है आर्टिफिशियल पेन के जरिए डिलीवरी

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अगर आप प्रेगनेंट हैं तो लेबर पेन के बारे में सोच-सोचकर आपको थोड़ी चिंता जरूर होती होगी। लेबर पेन का समय बेहद तकलीफ भरा होता है लेकिन ये पेन आपकी डिलीवरी के वक्त का एक बड़ा संकेत देते हैं। ये पेन अगर समय रहते ना आएं तो कॉम्प्लिकेशन बढ़ने की आशंका रहती है। ऐसे में आर्टिफिशियल पेन के जरिए कराई जाने वाली डिलीवरी कही ज्यादा कारगर मानी जाती है। साउथ फ्लोरिडा में हुई एक रिसर्च के अनुसार पहली बार मां बनी महिलाएं, जिनको 39वें हफ्ते में लेबर पेन इन्यूस किया गया, में सिजेरियन डिलीवरी का जोखिम कम हो गया और उन महिलाओं के मुकाबले कॉम्प्लिकेशन होने की आशंका कम हो गई, जिन्हें आर्टीफिशियल पेन 41वें हफ्ते में दिया गया।  ऑब्स्टीट्रीशियन्स आमतौर पर आर्टिफिशियल पेन इन्ड्यूस करने के लिए तब रिकमेंड करती हैं जब डिलीवरी में देरी होती है और प्लेसेंटा से बच्चे को जरूरी पोषक तत्व और ऑक्सीजन मिलने में  ज्यादा मुश्किल  होने लगती है। ऐसे समय में अगर  डिलीवरी में  ज्यादा देती होती है तो गर्भ में ही बच्चे की मौत होने और मां के लिए जोखिम बढ़ने की आशंका होती है।    इस बारे में काफी अनिश्चितता जताई जाती

जानिए कौन से कलर के फूड आइटम में होते हैं कौन से पोषक तत्‍व

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लाइफ में रंगों का बड़ा महत्‍व है। जहां कपड़ में मौजूद रंग हमें स्‍टाइल और फैशन से जोड़ते हैं वहीं प्राकृति से जुड़े रंग हमें खूबसूरत दुनिया में रहने का अहसास कराते हैं, मगर रंगों का महत्‍व यहीं खत्‍म नहीं होता बल्कि फूड आइटम्‍स में मौजूद रंगों का भी अपना अलग महत्‍व है। यह रंग हमें अच्‍छी सेहत का तोहफा देते हैं। हम रोजाना तरह-तरह के फूड आइटम्‍स का सेवन करते हैं। यह सभी अलग अलग रंग के हाते हैं मगर कभी आपने यह सोचा है कि अलग-अलग फूड आइटम्‍स में मौजूद रंगों का हैल्‍थ से क्‍या कनेक्‍शन होता है। अगर आपको इस बारे में कुछ नहीं पता तो आज हम आपको फूड आइटम से जुड़े रंगों के सेहत से जुड़े अनोखे फायदों के बारे में बताएंगे।  क्‍यों होते है रंग बिरंगे फूड आइटम्‍स  फल व सब्जियों में मौजूद रंग कई प्रकार के होते हैं। ये रंग हमें उच्च मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट्स, विटामिन व मिनरल्स प्रदान करते हैं। मगर सवाल यह उठता है कि फलों और सब्जियों में मौजूद रंगों का निर्माण कैसे होता है। इसका जवाब है कि  फलों और सब्जियों में तीन मुख्‍या पिगमेंट्स होते हैं। इन्‍हीं पिगमेंट्स से रंगों का निर्माण होता है।

हाई बीपी और डायबिटीज के कारण युवाओं में तेजी से बढ़ रहा है ब्रेन स्‍ट्रोक का खतरा

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बदलती लाइफस्‍टाइल, मोटापा, जंक फूड का सेवन और स्‍ट्रेस के कारण युवा कई तरह की बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। लेकिन हाल ही में आई एक रिसर्च से पता चला है कि इसी लाइफस्टाइल की वजह से युवाओं में ब्रेन स्ट्रोक के मामले बढ़ते जा रहे हैं, जिसके चलते वह जिंदगी भर के लिए विकलांग बन सकते हैं। जी हां एक नई रिसर्च के अनुसार ब्रेन स्ट्रोक के मामले में वृद्धि हो रही है। इसका इलाज नहीं कराने पर ब्रेन सेल्‍स को नुकसान हो सकता है जिसके परिणामस्वरूप मरीज जीवन भर के लिए विकलांग बन सकता है। फोर्टिस अस्पताल (नोएडा) में न्यूरोसर्जरी विभाग के डायरेक्‍टर एवं वरिष्ठ न्यूरो एवं स्पाइन सर्जन डॉक्‍टर राहुल गुप्ता ने हॉस्पिटल द्वारा आयोजित एक विशेष सेक्‍शन  में कहा, कुछ समय पहले तक युवाओं में स्ट्रोक के मामले सुनने में नहीं आते थे, लेकिन अब युवाओं में भी ब्रेन स्ट्रोक अपवाद नहीं है। युवाओं में स्ट्रोक के बढ़ते मामलों का मुख्य कारण हाई ब्‍लडप्रेशर, डायबिटीज, ब्‍लड शुगर, हाई कोलेस्ट्रॉल, शराब, धूम्रपान और मादक पदार्थों की लत के अलावा आरामतलब जीवन शैली, मोटापा, जंक फूड का सेवन और स्‍ट्रोक है। युवा रोगियों

लखनऊ में अब नहीं होगी निमोनिया से किसी बच्चे की मौत

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अब लखनऊ में किसी बच्चे की मौत निमोनिया से नहीं होगी। लखनऊ के साथ-साथ हरदोई, बाराबंकी, फैजाबाद, बस्ती और गोंडा में न्यूमोकॉकल कॉन्जगेट वैक्सीन (पीसीवी) लगाने का अभियान शुरू हो गया है। इस वैक्सीन की तीन डोज बच्चों को दी जाएगी। ये वैक्सीन बच्चों को निमोनिया, मस्तिष्क और खून में संक्रमण से बचाती है इससे पहले सीतापुर, सिद्धार्थ नगर, लखीमपुर खीरी, बहराइच, श्रवास्ती, बलरामपुर में इसे नियमित वैक्सीन में शामिल किया जा चुका है।  साल 2015 में शुरू किए गए मिशन इंद्रधनुष की सफलता के बाद अब निमोनिया से होने वाली मौतों को रोकने के अभियान में छह नए जिले जोड़े गए हैं। इसी साल यहां भी नियमित टीकाकरण के साथ न्यूमोकॉकल वैक्सीन लगाई जाएगी।  नवजात का छह सप्ताह, 10 सप्ताह और 14 सप्ताह पर टीकाकरण होगा।  इसके बाद नौ महीने का होने पर एक बूस्टर डोज भी दी जाएगी।  निमोनिया से नहीं होंगी बच्चों की मौतें  ये वैक्सीन  नवजात को निमोनिया  के साथ मेनेंजाइटिस मतलब मस्तिष्क के संक्रमण और खून के संक्रमण से भी बचाएगी। नेशनल हेल्थ मिशन के महाप्रबंधक डॉ. विकास सिंघल ने बताया कि मिशन इंद्रधनुष की शुरुआत अप्रैल

वजन बढ़ाने की हर कोशिश हो गई है नाकामयाब तो ऐसे खाएं किशमिश

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ड्राई फ्रूट्स खाना हमारी हेल्थ के लिए कितना अच्छा होता है यह बात तो लगभग हम सभी जानती हैं। बादाम, अखरोट, अंजीर आदि में मौजूद जरूरी विटामिंस और मिनरल हमारी बॉडी की रोजमर्रा की जरूरत को पूरा करते हैं। लेकिन क्या आप जानती हैं कि ड्राई फ्रूट्स में किशमिश भी हमारी हेल्थ के लिए बहुत अच्छी होती है। यूं तो किशमिश कई महिलाओं को पसंद है, लेकिन कई महिलाएं ड्राई फ्रूट की तुलना में इसे कमतर आंकते हैं। इसी वजह से इसे खाना भी पसंद नहीं करती हैं। लेकिन आपको जब इसकी फायदों का पता चलेगा तो ना सिर्फ आप इसे खाना पसंद करेंगी बल्कि इसे अपनी रेगुलर डाइट में शामिल भी करेंगी। खासतौर पर जो महिलाएं बहुत पतली हैं और लाख कोशिशों के बावजूद उनका वजन नहीं बढ़ रहा है। उनके लिए तो भीगी किशमिश किसी वरदान की तरह होती है।  आपको यह भी बता दें कि सूखी और भीगी किशमिश के अलग-अलग फायदे होते हैं। इस बारे में ज्‍यादा जाने के लिए हमने डायटिशियन सिमरन सैनी से बात की तब उन्‍होंने हमें बताया कि 'रातभर भिगोकर रखने से इसमें मौजूद शुगर कंटेट कम हो जाता है और न्यूट्रीशन वैल्यू बढ़ जाते है। इसलिए किशमिश को खाने का यह सबसे अच

घर के अंदर नहीं, खुली हवा में योग करने से मिलेंगे ये 5 फायदे

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योग हमारे तन और मन के साथ ब्रेन को भी हेल्‍दी रखता है। यह बात सभी लगभग जानते हैं और इसलिए योग आज हम सभी की लाइफ का हिस्‍सा बन चुका है। कुछ महिलाएं घर के अंदर योग करना पसंद करती है जबकि कुछ महिलाओं को घर के बाहर खुली हवा में योग करना पसंद हैं। हालांकि योग को लेकर अलग-अलग महिलाओं की अलग-अलग अवधारणा है। लेकिन आज भी लोगों के मन में योग को लेकर बहुत सी दुविधाएं है जैसे योग कब करना चाहिए, योग कहां करना चाहिए और घर में योग करने के फायदे ज्‍यादा है या बाहर करने के। अगर आपके मन में भी ऐसी ही कोई दुविधा है तो आइए हमारी एक्‍सपर्ट से जानें अपनी दुविधा का हल।     योग घर के अंदर करना चाहिए या बाहर इस बारे में जानने के लिए हमने स्वामी परमानंद प्राकृतिक चिकित्सालय (एसपीपीसी) की आयुर्वेदिक डॉक्‍टर दुर्गा अरुंद से बात की। तब उन्‍होंने हमें बताया कि 'अगर आप सुबह जल्‍दी योग करती हैं तो बाहर खुली हवा में  योग करने से  बेहतर फायदे पा सकती हैं। लेकिन अगर देर से योग करती हैं तो पॉल्‍यूशन से बचने के लिए आपको घर के अंदर ही योग करना चाहिए क्‍योंकि जिस ऑक्‍सीजन लेवल को पाने के लिए आप योग कर रही हैं व

लहसुन की चाय सर्दी-ज़ुकाम से लेकर करेगी आपका मोटापे को कम

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        0 कई बार आप अपना weight loss से लेकर सर्दी-खांसी की समस्या के लिये क्या-क्या उपाय नहीं करतीं। वैसे तो ये दोनों ही चीजें आपस में बिलकुल अलग हैं। जिनके लिये आपको अलग-अलग उपाय करने पड़ते हैं। या यूं कहें कि अगर आपको अपना weight loss करना है। तो आपको उसके लिये अलग से diet plan या फिर exercise plan follow करना पड़ेगा। तो वहीं सर्दी खांसी के लिये आपको medication की जरूरत पड़ती है। जिसमें आप ढ़ेर सारीं दवाईंया तक लेतीं हैं। जिसको लेकर कई बार आपको डॉक्टर के क्लीनिक के चक्कर तक काटने पड़ जाते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि आपके किचन में ऐसे उपाय मौजूद हैं। जिन्हें follow करके आप अपना weight loss से लेकर अपनी तमाम दूसरी समस्याओं से छुटकारा पा सकतीं हैं। शायद आप अभी भी ना समझीं हों....। जी हां हम बात कर रहे हैं। लहसुन की जो आपकी over all health के लिये बेहद ही फायदेमंद है। सर्दी-जुक़ाम को करता है दूर अक्सर मौसम में बदलाव की वजह से आपकी health cold की चपेट में आ जाती है। जिससे आपकी nose और throat काफी प्रभावित होते हैं। ये ना सिर्फ आपके daily life में आपके लिये दिक्कतें प

छात्र रहें सतर्क, भूलकर भी इन 24 फर्जी यूनिवर्सिटीज में ना ले दाखिला, UGC ने जारी की चेतावनी

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छात्र किसी भी फर्जी विश्वविद्यालयों के धोखे में ना आए इसलिए यूजीसी ने 24 फर्जी विश्वविद्यालयों की सूची जारी की है। नई दिल्ली (प्रेट्र)।  देश भर में 12 वीं के नतीजे आने के बीचे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने छात्रों के लिए एक चेतावनी जारी की है। छात्र किसी भी फर्जी विश्वविद्यालयों के धोखे में ना आए इसलिए यूजीसी ने 24 फर्जी विश्वविद्यालयों की सूची जारी की है। खास बात यह है कि  इनमें आठ विश्वविद्यालय राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में हैं। यूजीसी का कहना है कि 12वीं पास कर बच्‍चे अंडर ग्रेजुएट कोर्सों में एडमिशन लेना शुरू करेंगे लेकिन अगर विश्‍वविद्यालय फर्जी निकलता है तो ऐसे में उन्‍हें परेशानी होगी। उनका साल बर्बाद होने का खतरा है। इसे देखते हुए छात्रों को सावधान करने के लिए यूजीसी ने एकेडमिक ईयर की शुरुआत में ही फर्जी विश्‍वविद्यालयों के नाम सार्वजनिक किए हैं। आयोग द्वारा जारी एक नोटिस में कहा गया है, 'विद्यार्थियों और आम लोगों को सूचित किया जाता है कि फिलहाल देश के विभिन्न हिस्सों में 24 स्वयंभू और गैर मान्यता प्राप्त संस्थान यूजीसी अधिनियनम का उल्लंघन करके चल रहे हैं। इन विश्व

मुनाफे वाली खेती : भारत में पैदा होती है यह सब्जी, कीमत 30,000 रुपये किलो

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लखनऊ।  सब्जियों के दाम भले ही आसमां छू रहे हों, मगर भारत में एक ऐसी  सब्जी  है, जिसका दाम अगर आप सुन लेंगे तो बेशक आप अपने कानों पर यकीन ही नहीं कर पाएंगे। वैसे तो सब्जियां 50 रुपये प्रति किलो तक आ जाती है और सीजन के शुरुआत में कोई नई सब्जी जब आती है तो उसकी कीमत 100 रुपये तक भी पहुंच जाती है, बाद में इसके दाम गिरने लगते हैं। मगर इस सब्जी के दाम हैं, 30,000 रुपये प्रति किलो। आइये आपको इस सब्जी के बारे में कई रोचक जानकारी बताते हैं। इस सब्जी का नाम है 'गुच्छी' ये भी पढ़ें-  फल और सब्जियों को विदेशों में निर्यात कर कमाएं मोटा मुनाफ़ा 30,000 रुपये प्रति किलो पर बिकने वाली इस सब्जी का नाम गुच्छी है। गुच्छी का वैज्ञानिक नाम मार्कुला एस्क्यूपलेंटा है, लेकिन इसे हिंदी में स्पंज मशरूम कहा जाता है। यह सब्जी हिमाचल, कश्मीर और हिमालय के ऊंचे पर्वतीय इलाकों में ही होती है। यह गुच्छी बर्फ पिछलने के कुछ दिन बाद ही उगती है। इस सब्जी का उत्पादन पहाड़ों पर बिजली की गड़गड़ाहट और चमक से निकलने वाली बर्फ से होता है। प्राकृतिक रूप से जंगलों में उगने वाली गुच्छी शिमला जिले के ल

अगर आपको भी नींद में गिरने का अहसास होता है तो जानिए इसकी वजह

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क्‍या आपको सोते समय ऐसा महसूस होता है कि आप अचानक से नीचे की ओर गिर रही हैं? या आप सोते समय गिरने के डर से अचानक से उछल पड़ती हैं?  या आपको सोते समय झटका महसूस होता है?  और आप संभलने की कोशिश करने लगती हैं।  लेकिन क्‍या आपने कभी सोचा है कि ऐसा क्‍यों होता है? और इसकी वजह क्‍या है? क्‍या ये कोई बीमारी है? क्‍या इसका कोई इलाज है? अगर आप भी मेरी तरह इन सवालों के जवाब जानना चाहती हैं तो आइए इस आर्टिकल के माध्‍यम से जानें। Read more:  क्‍या आप जानती हैं कि ओएसए क्‍या है? जिससे उड़ जाती है रातों की नींद क्‍या है हाइपनिक जर्क? इस स्थिति को हाइपनिक जर्क के नाम से जाना जाता है। यह जागने और सोने की बीच की अवस्‍था है। ये झटके उस समय महसूस होते हैं जब आप हल्की नींद में हो इसका मतलब होता है कि इंसान ना तो पूरी तरह से उठा होता है और ना ही गहरी नींद में सो रहा होता है। आमतौर पर यह घटना नींद के पहले चरण में होती है जब हार्ट रेट और सांस धीरे होने लगती है। हाइपनिक जर्क कोई डिजीज नहीं है और ना ही कोई नर्वस सिस्टम डिस्‍ऑर्डर है। यह अचानक मसल्‍स के झटके हैं जो नींद आने के कुछ घंटों में आ सकत

वर्ल्‍ड मलेरिया डे: कहीं लगातार होने वाला बुखार या सिरदर्द मलेरिया की दस्‍तक तो नहीं

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मलेरिया, एक ऐसी बीमारी है जिसकी आसानी से रोकथाम और इलाज किया जा सकता है। लेकिन यह बीमारी हर साल 106 देशों में 3.3 अरब लोगों को प्रभावित करती है। भारत में 2 मिलियन मलेरिया के मामलों देखने को मिलते है और सालाना 1,000 से अधिक मौतें हो जाती हैं। विश्व मलेरिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत की 22 प्रतिशत आबादी उच्च संचरण क्षेत्रों में रहती है। ओडिशा हर साल भारत में मलेरिया के कुल मामलों में से 25 प्रतिशत योगदान देता है। हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में मलेरिया रिपोर्ट में वैश्विक प्रगति हुई है। 2016 में, मलेरिया के मामलों में 21 प्रतिशत की कमी आई और मृत्यु दर में 29 प्रतिशत की कमी आई। विश्व स्वास्थ्य संगठन अगले कुछ वर्षों में मलेरिया के मामलों को 40 प्रतिशत तक कम करने का लक्ष्य रखता है। आज, वर्ल्‍ड मलेरिया डे (25 अप्रैल) पर, हम आपको इस बीमारी के कारण, लक्षण, रोकथाम और उपचार के बारे में जानकारी देना चाहते हैं। Photo: HerZindagi मलेरिया क्या है? मलेरिया एक ऐसी डिजीज है जो मादा 'एनाफिलीज' मच्छर के काटने से होती है। ये रोगाणु इतने छोटे होते हैं कि हम इन्हें देख नहीं सकते। यह मच्छ