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Showing posts from September, 2018

वर्ल्ड हार्ट डे 2018: इन 8 संकेतों को ना करें नजर अंदाज़, Heart Attack के हैं ये शुरुआती लक्षण

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World Heart Day 2018: इन रोगों का कारण सिर्फ तनाव है और इससे मुक्ति पाने के लिए ये लोग धूम्रपान, नींद की दवाएं, शराब का सेवन करते हैं. जो उन्हें दिल की बीमारी की तरफ ले जा रही है.   SHARE Heart Attack के हैं ये शुरुआती लक्षण और बचाव नई दिल्ली:  World Heart Day 2018:  वो दौर गया जब सिर्फ 50 साल की उम्र के ही लोगों को हार्ट अटैक का खतरा होता था. क्योंकि अब 30 के उम्र के लोग भी इस खतरनाक बीमारी की चपेट में आने लगे हैं. जी हां, 30 से 40 उम्र के लोगों को  दिल संबंधी बीमारियों  होने लगी है. इन रोगों का कारण सिर्फ तनाव है और इससे मुक्ति पाने के लिए ये लोग धूम्रपान, नींद की दवाएं, शराब का सेवन करते हैं. जो उन्हें दिल की बीमारी की तरफ ले जा रही है. आपको ये बीमारी ना हो और आप इससे खुद को बचाने के लिए पहले से ही सतर्क कर सकें, इसीलिए हृदय रोगों के लक्षण को बारे में बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट के सीनियर इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. अमर सिंघल दिल की बीमारी के शुरुआती लक्षण बता रहे हैं जिन्हें समय से पहले जान गंभीर दिल की बीमारियों से बचा जा सकता है. वर्ल्ड हा

स्‍ट्रेस को नेचुरली कम करती हैं तुलसी की सिर्फ 5 पत्तियां

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        3 Thu, 27 Sep 2018 16:07 IST स्‍ट्रेस जो आजकल की लाइफस्‍टाइल का हिस्‍सा बन चुका है। इससे लगभग सभी परेशान हैं, खासतौर पर महिलाएं तो इससे बहुत ज्‍यादा परेशान रहती हैं क्‍योंकि उन्‍हें घर और ऑफिस दोनों की दोहरी जिम्‍मेदारियां निभानी होती हैं। अगर आप भी स्‍ट्रेस से परेशान रहती हैं और इसे दूर करने के उपायों की खोज में हैं तो अब आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है क्‍योंकि हमारे एक्‍सपर्ट आयुर्वेद फिजिशियन अब्रार मुल्‍तानी आपको इससे बचने का सबसे अच्‍छा उपाय बताने जा रहे हैं। इस उपाय की सबसे अच्‍छी बात इसका कोई साइड इफेक्‍ट नहीं है और यह आपको आसानी से आपके घर में ही मिल जाएगा। तो देर किस बात की आइए हमारे साथ जानें कौन सा है यह जादुई उपाय।  जी हां हम स्‍ट्रेस को दूर करने के लिए तुलसी की बात कर रहे है। तुलसी को पवित्र पौधों में से एक माना जाता है। तुलसी केवल आस्था का प्रतीक ही नहीं है बल्कि इस पौधे में पाए जाने वाले औषधीय गुणों के कारण आयुर्वेद में भी इसे बहुत महत्वपूर्ण स्‍थान दिया गया है। भारत में सदियों से इस हर्ब का इस्तेमाल होता चला आ रहा है। खांसी की समस्‍या होने पर

5 आसन जो दिलाएंगे आपको कमर दर्द से छुटकारा

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लगातार ऑफिस में बैठकर काम करने, सही तरीके से न बैठने, बहुत ज्यादा वजन उठाने और भी कई कारणों में कमर दर्द की शिकायत हो सकती है जिसे दूर करने के लिए योग से बेहतरीन दूसरा कोई उपाय नह अगर आपको कमर दर्द की शिकायत है तो आप योग द्वारा इससे छुटकारा पा सकते हैं। वैसे तो योग में कई ऐसे आसन हैं जो कमर दर्द से राहत दिलाते हैं लेकिन 5 ऐसे आसन हैं, जिसे हर कोई आसानी से कर सकता है। इनके रोजाना अभ्यास से कमर दर्द खत्म हो जाएगा और आप बहुत ही रिलैक्स महसूस करेंगे। तो आइए जानते हैं उन पांच आसनों के बारे में... कटिचक्रासन कमर दर्द के आसनों में सबसे पहला अभ्यास कटिचक्रासन का है। सबसे पहले सीधे खड़े होकर दोनों पैरों में थोड़ा-सा गैप करें, फिर हाथों को सामने की तरफ़ उठाकर,कंधों के समानांतर रखते हुए एक-दूसरे की तरफ़ खींचते हुए विपरीत दिशा में खिंचाव दें। सांस भरते हुए आपको एक स्थिति में जाना हैं तो सांस छोड़ते हुए वापस दूसरी स्थिति में आना है। फिर सांस भरते हुए उसकी विपरीत दिशा में हाथों को खींचें, थोड़ा तनाव दें, फिर सांस छोड़ते हुए एक स्थिति में वापस आएं। कटिचक्रासन के लगातार अभ्यास से जैसा कि आप देख रह

पितृ पक्ष 2018: श्राद्घ करते हुए इन बातों का रखें खास ख्याल, अवश्य प्रसन्न होंगे पितर

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पितृ पक्ष में श्राद्घ करने से पितरों का आर्शिवाद प्राप्त होता है। ये एक विशेष पूजन विधि है जिसमें कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है। कौन सी हैं वे बातें जानें पंडित दीपक पांडे से। 15 विशेष बातें  श्राद्घ पितरों की संतुष्टी आैर प्रसन्नता के लिए किया जाने वाला विशेष पूजन है। इसके दौरान इन 15 बातों का ध्यान रखेंगे तो आपको उनका आर्शिवाद अवश्य प्राप्त होगा।  1-  सर्वप्रथम याद रखें कि श्राद्घ में शुद्घता का अत्यंत महत्व होता है। इसलिए पूरी तरह स्वयं शुद्घ हों आैर श्राद्घ करने के स्थान को भी पवित्र रखें।  2-  श्राद्घ सदैव दक्षिण मुख बैठ कर आैर जनेउ को दाहिने कंधे से बायें हाथ के नीचे रख कर करें। 3-  श्राद्घ में  आठ चीजों दूध, गंगाजल, शहद, टसर के कपड़े, कुतप, काले तिल, दोहित्र, आैर कुश का अत्यंत महत्व होता है। 4-  ध्यान रखें श्राद्घ कर्म में बर्तनों के लिए मिटटी के बर्तन जो चाक पर नहीं हाथ से बने हों, लकड़ी के बर्तन, पत्तों के दोने जिसमें केले के पत्ते का प्रयोग ना हुआ हो, का ही इस्तेमाल करें।  5-  श्राद्घ में तुलसी का प्रयोग अनिवार्य है। पितरों की पूर्ण संतुष्टि के

किचन को ऐसे बनाएं ईको फ्रैंडली

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        1 Mon, 24 Sep 2018 11:30 IST आपकी और आपके परिवार की सेहत का रिश्ता आपके रसोईघर से जुड़ा होता है। रसोई में ना केवल खाना पकाया जाता है बल्कि पूरे परिवार की लंबी उम्र भी यहीं तय होती है। लेकिन सेहत और स्वाद में तालमेल बैठाना बहुत ही मुश्किल काम है। इस मुश्किल काम को आप एक शर्त पर आसान कर सकती हैँ। वह है, अपने किचन को ईको फ्रैंडली बनाकर।  ईको फ्रैंडली किचन का मतलब होता है कि आपके किचन का वातावरण अच्छा हो और आपने सारी चीजें व्यवस्थित ढंग से रखी हो। इन टिप्स को फॉलो करें।  बिजली के उपकरण आज के जमाने में शायद ही ऐसा कोई किचन होगा जिसमें बिजली के उपकरण नहीं रखे होंगे। फ्रिज और मिक्सर ग्राइंडर तो हर किसी के किचन में होता है। लेकिन कुछ लोगों को ही मालूम है कि इन चीजों को फ्रिज में रखने से भी कई बार सेहत को नुकसान पहुंच जाता है। जैसे कि आपने केवल फ्रिज और मिक्सर रखा है तो ठीक है। लेकिन अगर आपने इसके साथ ही माइक्रोवेव, कॉफी हीटर, टोस्टर आदि चीजें भी रखी हैं तो आपकी सेहत को नुकसान हो सकता है। इन सब चीजों को आप बाहर रखिए जिससे कि इनमें से निकलने वाला रेडिएशन आपके स्वास्

इस डाइट से 9-5 की जॉब में खुद को रखें फिट

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        0 Fri, 21 Sep 2018 16:26 IST आजकल अधिकतर महिलाएं जॉब करती हैं। सामान्य तौर पर 9-5 की जॉब शिफ्ट रहती है और किसी-किसी की शिफ्ट 6 बजे तक भी रहती है। इस 8 से 9 घंटे की शिफ्ट में खुद को फिट रखना बहुत मुश्किल हो जाता है। खासकर पेट को बाहर निकलने से बचाना एक बहुत बड़ी चुनौती हो जाती है। इसलिए तो अधिकतर महिलाओं के आज पेट निकलने की समस्या हो गई है।  वर्किंग शिफ्ट में अगर आपका भी पेट निकलने लगा है तो आज से एक स्पेशल डाइट लेना शुरू कर दें। बॉलीवुड स्टार्स भी इस डाइट के जरिये ही खुद को फिट रखती हैं। यह डाइट है कीटो डाइट जिसे फॉल कर आप खुद को फिट रख सकती हैं।  क्या है कीटोजेनिक डाइट कीटो या कीटोजेनिक डाइट में कम कार्बोहाइट्रेड वाली चीजें होती हैं। इस डाइट को कीटो डाइट इसलिए कहते हैं क्योंकि इससे लिवर में कीटोन पैदा होता है। इस डाइट को कीटोजेनिक डाइट, लो कार्ब डाइट या फैट डाइट जैसे नामों से भी जाना जाता है। दरअसल जब हम कार्बोहाइड्रेट जब ज्यादा खाते हैं तो शरीर में ग्लूकोज और इंसुलिन का उत्पादन होने लगता है जिससे शरीर में फैट जमा होने लगता है। नहीं होता इस डाइट म

इन जानलेवा बीमारियों के लिए रामबाण इलाज है किचन का ये मसाला, जानें इसके फायदे

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अजवाइन को सेक कर चूर्ण बनाकर शरीर की गर्मी कम होने या पसीना आने पर पैर के तलवों और शरीर पर मालिश करने से उष्णता आती है। नई  दिल्ली [जागरण स्पेशल]।  अजवाइन एक झाड़ीनुमा वनस्पति है जो मसाला एवं औषधि के रूप में प्रयुक्त होती है। छोटे पैमाने पर इसकी खेती की जाती है। अजवाइन के बीज को कैरम सीड्स भी कहा जाता है। इसका इस्‍तेमाल पेट से संबंध‍ित रोगों को मिटाने के लिए कि‍या जाता है। इसका चूरन बनाकर खाने से हाजमा ठीक रहता और मेटाबॉलिज्म भी शरीर में बढता है। वहीं एक चम्‍मच अजवाइन को रात में पानी में भिगोकर सुबह वही पानी से पेट की चर्बी कम होती है। अजवाइन सबके घर में आसानी से उपलब्‍ध होती है और यह तुरंत फायदा भी करती है। अजवाइन को सेक कर चूर्ण बनाकर शरीर की गर्मी कम होने या पसीना आने पर पैर के तलवों और शरीर पर मालिश करने से उष्णता आती है। अजवाइन के 4 रत्ती फूल, 4 रत्ती गिलोय सत्व के साथ मिलाकर चर्म रोगों में ऊंगलियों के काम न करने पर, वायु के दर्द, रक्तचाप और ब्लडप्रेशर में लाभप्रद सिद्ध होता है। अजवाइन के फूल को शहद में मिलाकर ले तो कफ आना रुकता है। अजवाइन का किसी भी रूप में सेवन करना बहु