लखनऊ में अब नहीं होगी निमोनिया से किसी बच्चे की मौत
अब लखनऊ में किसी बच्चे की मौत निमोनिया से नहीं होगी। लखनऊ के साथ-साथ हरदोई, बाराबंकी, फैजाबाद, बस्ती और गोंडा में न्यूमोकॉकल कॉन्जगेट वैक्सीन (पीसीवी) लगाने का अभियान शुरू हो गया है। इस वैक्सीन की तीन डोज बच्चों को दी जाएगी। ये वैक्सीन बच्चों को निमोनिया, मस्तिष्क और खून में संक्रमण से बचाती है इससे पहले सीतापुर, सिद्धार्थ नगर, लखीमपुर खीरी, बहराइच, श्रवास्ती, बलरामपुर में इसे नियमित वैक्सीन में शामिल किया जा चुका है।
साल 2015 में शुरू किए गए मिशन इंद्रधनुष की सफलता के बाद अब निमोनिया से होने वाली मौतों को रोकने के अभियान में छह नए जिले जोड़े गए हैं। इसी साल यहां भी नियमित टीकाकरण के साथ न्यूमोकॉकल वैक्सीन लगाई जाएगी। नवजात का छह सप्ताह, 10 सप्ताह और 14 सप्ताह पर टीकाकरण होगा। इसके बाद नौ महीने का होने पर एक बूस्टर डोज भी दी जाएगी।
निमोनिया से नहीं होंगी बच्चों की मौतें
ये वैक्सीन नवजात को निमोनिया के साथ मेनेंजाइटिस मतलब मस्तिष्क के संक्रमण और खून के संक्रमण से भी बचाएगी। नेशनल हेल्थ मिशन के महाप्रबंधक डॉ. विकास सिंघल ने बताया कि मिशन इंद्रधनुष की शुरुआत अप्रैल 2015 में हुई थी जिस समय ये अभियान शुरू हुआ था उस दौरान प्रदेश में टीकाकरण मात्र 63 फीसदी था। ये विश्व स्वास्थ्य संगठन का आंकड़ा है।
प्राइवेट सेक्टर में महंगी है ये वैक्सीन
तीन चरण में मिशन इंद्रधनुष के माध्यम से टीकाकरण को अब 75 फीसदी तक पहुंचा दिया गया है। इसी दौरान निमोनिया से होने वाली बच्चों की मौतों को रोकने के लिए टीकाकरण अभियान की शुरुआत की योजना बनी। इसमें यूपी के छह जिलों को शामिल किया गया था। पीसीवी वैक्सीन प्राइवेट सेक्टर में काफी महंगी है लेकिन नियमित टीकाकरण में ये फ्री लगाई जाएगी।
एक घंटे में लगभग 12 बच्चों की होती है मौत
निमोनिया से प्रदेश में एक घंटे में औसतन 12 बच्चों की मौत होती है। 24 घंटे में ये आंकड़ा करीब 300 से है। मरने वाले बच्चों में सबसे अधिक 5 साल से कम उम्र के होते हैं। देश में हर साल 18.4 लाख बच्चे दम तोड़ देते हैं। इनमें से 27 फीसदी बच्चे यूपी के होते हैं।
प्रदेश के 17 फीसदी बच्चों की मौत का कारण निमोनिया होता है। आंकड़ों के अनुसार पांच साल से कम उम्र का हर दूसरा बच्चा निमोनिया का शिकार होता है।
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