इंटरनेशनल लेबर डे पर वर्किंग वुमन होने के नाते अपने कानूनी अधिकारों के बारे में जरूर जानें
पिछले कुछ समय में पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ा है, खासतौर पर आईटी और स्टार्टअप्स में। वर्कप्लेस में महिलाओं की बढ़ती भागेदारी के मद्देनजर उनकी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए कुछ विशेष प्रावधान किए गए हैं। इनके बारे में जानकारी होना आपके लिए बहुत अहम है। इंटरनेशनल लेबर डे के मौके पर हमने बात की एडवोकेट ऋषिकेश कुमार से और उन्होंने हमें बताया महिलाओं से जुड़े इन कानूनी प्रावधानों के बारे में-
1. मैटरनिटी बेनिफिट एमेंडमेंट एक्ट, 2017
इस संशोधन में मैटरनिटी लीव के टर्म्स के बारे में स्पष्ट रूप से लिखा हुआ है। इसकी कुछ मुख्य बातें इस प्रकार हैं-
- मैटरनिटी लीव में आपको 26 हफ्ते की छुट्टी मिलती है। प्रीनेटेल लीव भी 2 महीने की मिलती है। हालांकि दूसरे बच्चे के लिए मेटरनिटी लीव 12 हफ्तों की ही मिलती है। ऐसी स्थिति में बच्चा होने से पहले डेढ़ महीने की छुट्टी मिलती है। जिन महिलाओं ने तीन महीने से ज्यादा बड़े बच्चे गोद लिए हैं, उन्हें 12 हफ्तों की छुट्टी मिलती है।
- सरकारी सेक्टर में महिलाओं को उनके पहले दो बच्चों के लिए 180 दिन की मैटरनिटी लीव मिलती है।
- एक्ट के तहत महिलाओं को उनके एपॉइंटमेंट के समय में ही कर्मचारी के तौर पर उनके अधिकारों के बारे में बताया जाना कंपलसरी कर दिया गया है।
- एक्ट के तहत न्यू मॉम्स को घर से काम करने का विकल्प भी दिया गया है। 26 हफ्तों के लीव पीरियड के बाद महिलाएं इस अरेंजमेंट में काम कर सकती हैं।
- ऐसे संस्थान, जहां 50 से ज्यादा महिला कर्मचारी काम कर रही हैं, वहां क्रेच फेसिलिटी होना अनिवार्य कर दिया गया है। साथ ही वुमन वर्कर्स को दिन में चार बार क्रेच विजिट करने की इजाजत दी गई है। इससे महिलाओं के कामकाज पर सकारात्मक असर पड़ेगा और ऑफिस वर्ककल्चर भी बेहतर होगा।
सेक्शुल हैरेसमेंट को रोकने के लिए क्या हैं प्रावधान
वर्कप्लेस पर सेक्शुअल हैरसमेंट के कई मामले अक्सर सामने आते हैं। विशाखा एंड अदर्स बनाम स्टेट ऑफ राजस्थान (विशाखा जजमेंट) में फैसला आने के बाद यह कानून बनाया गया था। विशाखा जजमेंट के तहत सभी एम्प्लॉयर्स के लिए महिलाओं की शिकायतों की सुनवाई के लिए अलग व्यवस्था बनाया जाना कंपल्सरी कर दिया गया। इस कानून के आने से महिलाओं में आत्मविश्वास बढ़ा है। इसके तहत आप आपत्तिजनक यौन व्यवहार के बारे में बिना किसी डर के अपनी शिकायत दर्ज करा सकती हैं। विशाखा जजमेंट को ध्यान में रखते हुए सेक्शुअल हैरसमेंट एक्ट के तहत सेक्शुल हैरसमेंट की जो परिभाषा दी गई है, उसमें महिलाओं को आपत्तिजनक लगने वाले सभी यौन व्यवहार शामिल हैं जैसे -
- फिजिकल कॉन्टेक्ट्स और पास आने की कोशिश करना
- सेक्शुल फेवर्स की डिमांड करना
- यौन व्यवहार से जुड़ी कोई टिप्पणी
- पोर्नोग्राफी दिखाना
- किसी एक्टिविटी में, बोलचाल में या मौन रहते हुए ऐसा कोई भी व्यवहार, जो सेक्शुअल नेचर का हो।
इन चीजों की होती है व्यवस्था
सेक्शुअल कंप्लेंट के मामलों से निपटने के अलावा नियोक्ता को महिलाओं के काम से जुड़ी कुछ और चीजों का भी ध्यान रखने की जरूरत होती है, जिससे महिलाओं के लिए कार्यस्थल पूरी तरह सुरक्षित रहे जैसे -
- कामकाज का माहौल सुरक्षित हो।
- वर्कप्लेस में यौन उत्पीड़न के मामलों में दोषी पाए जाने पर होने वाली दंडात्मक कार्रवाई के बारे में स्पष्ट रूप से जानकारी देना। कंपनी में इंटरनल कंप्लेट्स कमिटी में शामिल सदस्यों की जानकारी देना ताकि जरूरत पड़ने पर महिलाएं उनसे संपर्क कर सकें।
- कर्मचारियों को सेंसिटाइज करने के लिए समय-समय पर वर्कशॉप ऑर्गनाइज करना और अवेयरनेस प्रोग्राम का आयोजन करना। आईसीसी के सदस्यों के लिए ओरियंटेशन प्रोग्राम ऑर्गनाइज करना।
- सेक्शुअल हैरसमेंट को सर्विस रूल्स के तहत मिस्कंडक्ट मानना और उसके खिलाफ कार्रवाई करना।
आप इस बात पर ध्यान दे सकती हैं कि आपके संस्थान में इन चीजों पर अमल किया जाता है या नहीं। अगर आप सजग हैं तो निश्चित रूप से आप वर्कप्लेस पर अपने खिलाफ होने वाली किसी भी नाइंसाफी के खिलाफ आवाज उठा सकती हैं। इस दिशा में उठाया गया आपका एक छोटा सा कदम भी बहुत महत्वपूर्ण है। अंतरराष्ट्रीय लेबर डे पर हमारी यही कामना है कि आप पूरे जोश-ओ-खरोश के साथ काम करें, आगे बढ़े, प्रगति करें और देश का नाम रोशन करें।
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