बायोवेद शोध संस्थान ने बताया, मिर्चे के पौधों में लगने वाले उकठा रोगों से कैसे बचें


कौशांबी। मिर्च की फसल में लगने वाले उकठा रोग से किसानों को कई बार नुकसान उठाना पड़ता है, ऐसे में किसानों को मिर्चे के पौधों में लगने वाले उकठा रोग से निजात के लिए उपाय बताये गए।
गाँव कनेक्शन फाउंडेशन की ओर से कौशाम्बी जिले के सादिकपुर सेमरहा गाँव में मिर्चे की खेती करने वाले किसानों के बीच बायोवेद कृषि, प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान शोध संस्थान और कृषि विभाग के प्लांट प्रोटेक्शन ऑफिसर(पीपीओ) के साथ बैठक कर उकठा रोग से निजात के उपाय बताए गए। उकठा रोग से पूरे ब्लॉक के किसान बड़े स्तर पर परेशान हैं। रोग लगने की वजह से तैयार फसल खेतों में सूखने लगी है जिससे किसानों को आर्थिक क्षति का सामना करना पड़ रहा है।

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उकठा रोग से फसल को बचाने के लिए उपस्थित किसानों को कृषि विभाग के प्लांट प्रोटेक्शन ऑफिसर मदन सिंह ने मिर्चे के पौधे की जड़ में जैविक दवाओं का इस्तेमाल करने का सुझाव दिया, जिससे फसल को लंबे समय तक रोग से बचाया जा सकेगा।
मिर्च के पौधों में उकठा रोग के बारे में किसानों को बताते कृषि विशेषज्ञ 

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इसके साथ ही बायोवेद कृषि, प्रौद्योगिकी एवं विज्ञान शोध संस्थान के रिसर्च साइंटिस्ट डॉ. आर पी सिंह ने बताया की निमोटोड्स व उकठा से ग्रसित मिर्च के खेत मे जैविक विधि से तैयार बायोनिमा का उपयोग 15 किलो प्रति एकड़ के हिसाब से करना चाहिए। कृषि विशेषज्ञों से मिलकर मिर्चे की खेती करने वाले किसान खेती के उत्तम तरीको पर चर्चा की।
मिर्चे की खेती करने वाले किसान अनिल ने बताया, "वर्षों बाद मिर्चे का अच्छा मूल्य आया है, लेकिन पौधे में रोग लगने से पैदावार में कमी आ गयी है। कई साल बाद बाज़ार में मिर्चा 4500 रुपया कुंतल बिक रहा है, लेकिन पैदावार में कमी की वजह से इसका लाभ नही मिल पा रहा है।

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