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वर्ल्‍ड मलेरिया डे: कहीं लगातार होने वाला बुखार या सिरदर्द मलेरिया की दस्‍तक तो नहीं


मलेरिया, एक ऐसी बीमारी है जिसकी आसानी से रोकथाम और इलाज किया जा सकता है। लेकिन यह बीमारी हर साल 106 देशों में 3.3 अरब लोगों को प्रभावित करती है। भारत में 2 मिलियन मलेरिया के मामलों देखने को मिलते है और सालाना 1,000 से अधिक मौतें हो जाती हैं। विश्व मलेरिया रिपोर्ट के अनुसार, भारत की 22 प्रतिशत आबादी उच्च संचरण क्षेत्रों में रहती है। ओडिशा हर साल भारत में मलेरिया के कुल मामलों में से 25 प्रतिशत योगदान देता है।

हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में मलेरिया रिपोर्ट में वैश्विक प्रगति हुई है। 2016 में, मलेरिया के मामलों में 21 प्रतिशत की कमी आई और मृत्यु दर में 29 प्रतिशत की कमी आई। विश्व स्वास्थ्य संगठन अगले कुछ वर्षों में मलेरिया के मामलों को 40 प्रतिशत तक कम करने का लक्ष्य रखता है। आज, वर्ल्‍ड मलेरिया डे (25 अप्रैल) पर, हम आपको इस बीमारी के कारण, लक्षण, रोकथाम और उपचार के बारे में जानकारी देना चाहते हैं।
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Photo: HerZindagi

मलेरिया क्या है?

मलेरिया एक ऐसी डिजीज है जो मादा 'एनाफिलीज' मच्छर के काटने से होती है। ये रोगाणु इतने छोटे होते हैं कि हम इन्हें देख नहीं सकते। यह मच्छर गंदे और दूषित पानी में पनपते हैं जो उड़कर हम तक पहुंचते हैं। डेंगू के मच्छर का काटने का समय जहां सूर्यास्त से पहले होता है वहीं, मलेरिया फैलाने वाले मच्छर सूर्यास्त के बाद काटते हैं। इन्हीं सब चीजों के प्रति सचेत रहने और खुद को इस रोग से बचाने के लिए हर साल 25 अप्रैल को वर्ल्‍ड में मलेरिया दिवस मनाया जाता है। मलेरिया के लक्षणों में बुखार, कंपकंपी, पसीना आना, सिरदर्द, बॉडी पेन, जी मिचलाना और उल्टी होना शामिल है। कभी-कभी इसके लक्षण हर 48 से 72 घंटे में दोबारा दिखायी देते हैं। यह इस बात पर निर्भर करता है कि एक व्यक्‍ति को कौन-से परजीवी की वजह से मलेरिया हुआ है और वह कब से बीमार है।

Read more: एक नई तरह की मच्छरदानी आपको बचा सकती है मलेरिया जैसी बीमारी से

मलेरिया के लक्षण

  • तेज बुखार
  • पसीना
  • ठंड और कंपकंपी
  • सिरदर्द
  • थकान
  • जी मिचलाना
  • उल्‍टी
  • दस्‍त
  • मसल्‍स में पेन
  • जोड़ों में दर्द
  • कमजोरी
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Photo: HerZindagi

मलेरिया होने के कारण

  • मलेरिया होने का मुख्य कारण परजीवी मादा मच्छर एनॉफिलीज ही है। दरअसल प्लाज्मोडियम नामक परजीवी मादा मच्छर एनॉफिलीज के बॉडी के अंदर पनपता है।
  • यह परजीवी मादा मच्छर एनॉफिलीज के काटने से फैलता है। जब यह मच्छर किसी को काटता है, तब रोग का परजीवी ब्‍लड सर्कुलेशन के जरिये लीवर में पहुंचकर अपनी संख्या को बढ़ाने लगता है।
  • यह स्थिति रेड ब्‍लड सेल्‍स पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालती है। चूंकि मलेरिया के परजीवी रेड ब्‍लड सेल्‍स में पाये जाते हैं, इसलिए ये मलेरिया से संक्रमित व्यक्ति द्वारा ब्लड ट्रांसफ्यूजन के जरिये दूसरे व्यक्ति में भी पहुंच सकते हैं।
  • इसके अलावा अंग प्रत्यारोपण और एक ही सीरिंज का दो व्यक्तियों में इस्तेमाल करने से भी यह रोग फैल सकता है। मलेरिया होने पर हर व्यक्ति में एक जैसे लक्षण नजर आते हैं क्योंकि यह काफी हद तक इस चीज पर निर्भर करता है कि आपको इंफेक्शन कितना हुआ है।
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मलेरिया से बचाव

  • मच्छरों को पनपने से रोकें।
  • घर के अंदर मच्छर मारनेवाली दवा छिड़कें।  
  • जितना संभव हो उतना ही घर के अंदर रहे, विशेष रूप से रात के समय जब मच्छर ज्‍यादा एक्टिव होते हैं।
  • घर के दरवाज़ों और खिड़कियों पर जाली लगाएं ताकि मच्छर अंदर आने से बचें।   
  • मच्छरदानी का उपयोग करें।    
  • कीट रिपेलेंट परमेथ्रिन के साथ मच्छरदानी का इस्तेमाल करें।   
  • हल्‍के रंग के और ऐसे कपड़े पहनें जिनसे आपकी बॉडी पूरी तरह ढक सके।
  • अगर आपको मलेरिया हो गया है, तो फौरन इलाज करवाएं।
चेस अरोमाथरेपी कॉस्मैटिक्स के संस्थापक के लेखक डॉक्‍टर नरेश अरोड़ा के कहना हैं कि 'अरोमाथेरेपी किसी भी इन्फेक्शन से बचने के लिए एक प्रीवेंटिव केयर का काम करती है। जैसे बेसिल आयॅल: तुलसी की 2 बूंदे सुबह शाम भाप लेने से या इसका लोशन लगाने से शरीर की इम्यूनिटी बढ़ती है। जिसके किसी भी इन्फेक्शन से बचने में हेल्‍प मिलती है।'

डॉक्‍टर नरेश अरोड़ा का यह भी कहना है कि 'सिट्रोनेला व लेमनाग्रास ऑयल का लोशन बॉडी पर लगाने से मच्छरों से छुटकारा मिलता है जिससे डेंगू और मलेरिया जैसी भयानक बीमारियों से बचा जा सकता है। 2-3 बूंदे ऑयल को पानी में मिलाकर कमरे में छिड़कने से मच्छरों से छुटकारा मिलेगा।'
अगर मलेरिया का इलाज न करवाया जाए, तो बॉडी में ब्‍लड की भारी कमी हो सकती है और जान भी जा सकती है। इससे पहले कि हालत और खराब हो, जल्द-से-जल्द इलाज करवाएं, खासकर जब बच्चों या गर्भवती की तबियत खराब हो।https://www.herzindagi.com/hindi/health/world-malaria-day-know-the-symptoms-treatment-and-prevention-article-29401

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