खुद को रखें सुरक्षित क्योंकि जहरीली हवा में सांस ले रही है दुनिया की 95 फीसदी आबादी
अगर आपको लगता हैं कि आप जिस हवा में सांस ले रही हैं वह शुद्ध और साफ है तो हम आपकी इस गलतफहमी को दूर कर देते हैं। क्योंकि एक नए रिसर्च से यह बात सामने आई है कि दुनिया की करीब 95 प्रतिशत आबादी आज भी जहरीली हवा में सांस लेने के लिए मजबूर है।
हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया की 95% से अधिक आबादी जहरीली हवा में सांस ले रही है। ये आबादी उन इलाकों में रहती है जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 'पीएम 2.5' डब्ल्यूएचओ के मानक स्तर 10 माइक्रोग्राम/मीटर क्यूब से अधिक है। बतौर रिपोर्ट, सर्वाधिक प्रदूषित देशों और सबसे कम प्रदूषित देशों का अंतर तेजी से बढ़ रहा है।
हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टीट्यूट की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया की 95% से अधिक आबादी जहरीली हवा में सांस ले रही है। ये आबादी उन इलाकों में रहती है जहां वायु गुणवत्ता सूचकांक 'पीएम 2.5' डब्ल्यूएचओ के मानक स्तर 10 माइक्रोग्राम/मीटर क्यूब से अधिक है। बतौर रिपोर्ट, सर्वाधिक प्रदूषित देशों और सबसे कम प्रदूषित देशों का अंतर तेजी से बढ़ रहा है।
असुरक्षित हवा में जी रहे हैं लोग
रिसर्च में ये बात भी सामने आई है कि पॉल्यूशन से गरीब समुदाय बहुत अधिक प्रभावित होता है। इसके साथ ही सर्वाधिक पॉल्यूशन और सबसे कम पॉल्यूशन वाले देशों के बीच अंतर तेजी से बढ़ रहा है। शहरों में रहने वाले अरबों लोग असुरक्षित हवा में जी रहे हैं जबकि ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोग ठोस ईंधन जलाए जाने के कारण घर के भीतर एयर पॉल्यूशन का सामना करते हैं। अमेरिका में हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टीट्यूट के अनुसंधानकर्ताओं ने उपग्रह से प्राप्त नए डेटा का बारीकी से अध्ययन किया। इस डेटा के जरिये उन लोगों की संख्या का अनुमान लगाया गया जो डब्ल्यूएचओ द्वारा एयर पॉल्यूशन के सुरक्षित माने जाने वाले लेवल से अधिक लेवल के पॉल्यूशन में सांस रहे हैं। इसके बाद चौंकाने वाले तथ्य सामने आए।


Photo: HerZindagi
60 लाख लोगों की असमय मौत हो गई
दुनिया में पॉल्यूशन से होने वाली मौतों का आकलन करने वाली रिपोर्ट में चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। अमेरिका स्थित संस्था हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टीट्यूट ने 'स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर-2018' में इसकी जानकारी दी है। 2016 में पूरी दुनिया में एयर पॉल्यूशन से 60 लाख लोगों की असमय मौत हो गई, जिनमें से आधे लोग चीन और भारत के रहने वाले थे। रिपोर्ट के मुताबिक भारत और चीन में घरेलू एयर पॉल्यूशन का सामना करने वालों की संख्या भी सबसे ज्यादा रही। साल 2016 में ऐसे लोगों की संख्या भारत में 56 करोड़, जबकि चीन में 41 करोड़ थी।
बड़ी समस्या बनती जा रहा है एयर पॉल्यूशन
गौरतलब है कि दुनियाभर में एयर पॉल्यूशन बड़ी समस्या बनती जा रहा है। वायु पॉल्यूशनसेहत के लिए पर्यावरण से जुड़ा सबसे बड़ा जोखिम तो है ही। साथ ही विश्वभर में होने वाली कुल मौतों का चौथा सबसे बड़ा कारण भी है। स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर-2018 रिपोर्ट में भारत में पॉल्यूशनसे होने वाली 25 फीसदी मौतों के लिए घरों के भीतर मौजूद वायु पॉल्यूशन को जिम्मेदार बताया गया है। चीन में यह आंकड़ा 20 फीसदी है! यही नहीं, भारत में पीएम 2.5 की कुल मात्रा के 24 फीसदी हिस्से के लिए घरों में इस्तेमाल होने वाले जैव ईंधन को जिम्मेदार बताया गया है।
रिसर्च में पाया गया कि पॉल्यूशन का सबसे बुरा प्रभाव गरीब लोगों पर पड़ रहा है।https://www.herzindagi.com/hindi/health/chemotherapy-is-not-effective-in-triple-negative-breast-cancer-article-28942
रिसर्च में पाया गया कि पॉल्यूशन का सबसे बुरा प्रभाव गरीब लोगों पर पड़ रहा है।https://www.herzindagi.com/hindi/health/chemotherapy-is-not-effective-in-triple-negative-breast-cancer-article-28942
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