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SOCIETY & CULTURE क्यों नहीं खुद को रिलैक्स कर पातीं महिलाएं, बता रही हैं क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट

आप अपने ऑफिस में पूरी मेहनत के साथ काम करती हैं और घर की जिम्मेदारियों को भी बखूबी समझती हैं। घर की छोटी-छोटी जरूरतें पूरी करने से लेकर बड़े-बड़े लक्ष्यों हासिल करने तक आप हर काम सहजता के साथ करती हैं, लेकिन क्या आप यह महसूस करती हैं कि इतनी तरह की जिम्मेदारियां उठाते हुए आपको रिलैक्स करने और खुद को तरोताजा रखना भी बेहद जरूरी है। एक नए सर्वे में कहा गया है कि हम खुद को मानसिक रूप से कामों से बाहर निकालना और रिलैक्स करना भूलते जा रहे हैं। इस सर्वे में पाया गया कि 46 फीसदी लोग छुट्टी वाले दिनों में भी आराम नहीं कर पाते। इसी संदर्भ में महिलाओं के आराम न कर पाने के मुद्दे पर हमने बात की जानी-मानी क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट रजत ठुकराल से। रजत ने इस समस्या से जुड़े अहम पहलुओं पर बात की और इसके लिए remedies भी बताईं-

Mental Conditioning है वजह 

बचपन से ही लड़कियों को उनकी मम्मी सिखाती हैं कि उन्हें कैसे रहना है। बड़े होने पर मां सिखाती हैं कि वे कैसे अच्छी पत्नी, अच्छी बहू और अच्छी मां बनें। महिलाओं से हमेशा perfection की उम्मीद की जाती है और expectation का स्तर काफी high रहता है। इसका नतीजा यह होता है कि महिलाएं हमेशा खुद में improvement लाकर खुद को बेहतर बनाने की कोशिश में लगी रहती हैं। उन्हें इस बात की बहुत ज्यादा फिक्र होती है कि अपने acts के जरिए वे किस तरह का मैसेज दे रही हैं। अक्सर महिलाएं इस बात में बिजी रहती हैं कि वो अपने पति को खुश करने के लिए एक अच्छी रेसिपी किस तरह बना लें, किस तरह की ड्रेसिंग अपने लिए चुनें, जिसमें वो अच्छी लगें,  बच्चों को कैसे खुश रखें। इन सबके बीच महिलाएं ये भूल जाती हैं कि उनकी अपनी शख्सीयत क्या है। 
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अपने लिए जीना भी है जरूरी

अपने से ज्यादा दूसरों के बारे में सोचने की प्रवृति ज्यादातर महिलाओं को अपनी मम्मी से मिलती है और यह उनकी आदत का हिस्सा भी बन जाती है। इसका result ये होता है कि महिलाएं हमेशा दूसरों को खुश रखने की सोचती हैं। हर इंसान को खुश रहने के लिए बहुत जरूरी है कि दूसरों के साथ-साथ वह अपनी फीलिंग्स की भी कद्र करे। लेकिन इस मामले में ज्यादातर महिलाएं पीछे रहती हैं। जो चीजें उन्हें पसंद नहीं होतीं या जिन बातों को लेकर वे सहज नहीं होतीं, उसके बारे में वे खुलकर नहीं बोल पातीं। मुझे अपने बारे में भी सोचना है, यह बात उनके जेहन में नहीं रहती। घर की छोटी-छोटी जिम्मेदारियां आमतौर पर महिलाओं पर होती हैं, जिनमें उनका काफी समय जाता है। उन्हें अपने लिए ब्रेक नहीं मिल पाता। लेकिन उन्हें ये भी पता है कि वे अपनी तकलीफ अगर घर के अन्य सदस्यों से बताएं तो मदद के बजाय उन्हें नाराजगी ही झेलनी पड़ती है। इसी कारण वे खुद को मजबूर महसूस करती हैं। अगर कभी किचन में उनका काम करने का मन ना भी हो, तो वे अपने दिल की बात नहीं कह पातीं। महिलाएं काफी इमोशल भी होती हैं और अपनी तकलीफ को ना बांट पाने की वजह से वे काफी तनाव में रहती हैं। ऐसे में बहुत सी महिलाएं खुद को डिस्ट्रेक्ट करने के लिए दूसरी दूसरी तरह की एक्टिविटी में involve रहती हैं। महिलाओं के emotions intense होते हैं इसीलिए वे खुद को दुख देने वाली चीजों के बारे में सोचना नहीं चाहती। इस तनाव से वे अक्सर डिप्रेशन का शिकार भी होती हैं।

Communication की कमी से बढ़ रही मुश्किल

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आजकल की सिंगल फैमिलीज में महिलाओं पर जरूरत से ज्यादा जिम्मेदारियां होती हैं और अपनी तकलीफ साझा करने के लिए उनके पास लोग भी बहुत ज्यादा नहीं होते। सिंगल फैमिलीज में रियल कम्यूनिकेशन और सपोर्ट भी बहुत कम होता जा रहा है, जिसका असर महिलाओं की मानसिक सेहत पर पड़ता है। ज्यादातर महिलाएं इसका solution यही नजर आता हैं कि खुद को बिजी रखती हैं और जरूरत से ज्यादा काम करती हैं । बहुत सी महिलाओं को रिलेशनशिप से जुड़ी समस्याएं भी होती हैं। कई रिलेशनशिप प्रॉब्लम्स इतनी पेजीदा होती हैं कि महिलाओं को उनसे बाहर निकलने का रास्ता समझ नहीं आता, वे लगातार उनसे जूझती रहती हैं। इस वजह से भी उनकी बॉडी रेस्टलेस फील करती है और वे आराम नहीं कर पातीं।

कैसे करें खुद को रिलैक्स 

महिलाओं को अपनी mental health बनाए रखने के लिए expressive होना बहुत जरूरी है। आप कैसा फील कर रही हैं, इस बात को लेकर भी सजग रहें। इसमें Breathing exercises और प्राणायाम बहुत प्रभावी हैं। इन्हें करने से शरीर शांत रहता है जिससे दिमाग पर भी positive effect होता है। आप कुछ एशियन एक्सरसाइज जैसे कि Tai chi और chi kung भी करके देख सकती हैं। योग और प्राणायाम से काफी रिलेक्सेशन मिलता है। इसके अलावा सुबह-सुबह वॉक के लिए पार्क में जाना आपके लिए बहुत जरूरी है। सुबह की ताजी हवा लेने खुद को रिलैक्स करने के लिए बहुत important है। आप रोजाना के तनावों के लिए काउंसिलर से सलाह ले सकती हैं। चाहे आपको इंटरनल स्ट्रेस, वर्क स्ट्रेस या घर के कामों से जुड़ा स्ट्रेस हो, हर समस्या के लिए आप काउंसिलर से बात कर सकती हैं। 

नाउम्मीद नहीं हों, हर समस्या का मिलता है हल

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कुछ बेहद पेजीदा समस्याएं होती हैं, जिनका हल आपको समझ नहीं आ रहा हो, बार-बार उनके बारे में सोचकर परेशान न हों। काउंसिलर से बात करने पर आपको नया दृष्टिकोण मिल सकता है, जिसे शायद आप नहीं देख पा रही हों। किसी भी मुद्दे पर लोग अलग तरह से रेसपॉन्ड करते हैं। कोई भी समस्या बहुद हद तक हमारे दृष्टिकोण से ही जुड़ी होती है। कई बार ऐसा भी होता है कि जो चीज हमें एक समय में बुरी लग रही होती है, बाद में उसे लेकर हमारा नजरिया बदल जाता है और हमें लगता है कि उस वक्त में जो हुआ, अच्छा हुआ। काउंसलिंग में आपको नया नजरिया मिलता है, काउंसिलर आपको समझाती हैं कि आप कैसे अपना नजरिया बदल सकती हैं ताकि आप अपनी स्थितियों को बेहतर तरीके से स्वीकार कर सकें। ऐसी बहुत सी चीजें आपको काउंसिलर के जरिए पता चलती हैं, जिन्हें आप खुद नहीं देख पातीं। 

 


  • Saudamini Pandey
  • Her Zindagi Editorial

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